स्वास्थ्य-चिकित्सा >> निदान चिकित्सा हस्तामलक-2 निदान चिकित्सा हस्तामलक-2वैद्य रणजितराय देसाई
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नए संस्करण का प्रकाशकीय वक्तव्य
‘‘निदान चिकित्सा हस्तामलक” द्वितीय खंड का नया संस्करण पुनः प्रकाशित करने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ यह हमारे लिए हर्षोल्लास की अनुभूति है। आयुर्वेदालंकार विभुषित स्वर्गीय रणजितराय देसाई जी द्वारा लिखित कलाकृती आयुर्वेद जगत् पर छाप छोड गई है जिसे भूल पाना असंभव है। उन्होंने निदान चिकित्सा हस्तामलक ग्रन्थ को चार खण्डों में विभाजित कर विस्तारपूर्वक लिखा है जो पाठकों को सहजता से समझ सके। उन्हीं चार खाण्डों मे से “द्वितीय खण्ड” भी पुनः प्रकाशित करना जरूरी हुआ। इस खण्ड में कुल (द्वादश) बारह अध्याय लिखे है।
इन द्वादश अध्यायों में लेखक ने, मनुष्य जिन-जिन व्याधियों से घिरा रहता है उन सभी व्याधियों का तथा उसकी चिकित्सा का सहज सरलता से सुन्दर वर्णन किया है। इस ग्रन्थ को करने के बाद लेखक को और भी कुछ सुझाव मन में प्रगट हुए उसे उन्होंने एक अध्याय परिशिष्ट में संशोधन परिवर्धन नाम से लिखे थे। इन सुझावों को किस किस जगह देना है उसका भी उन्होंने परिशिष्ट में स्पष्टीकरण दिया था। यह बहुत ही ध्यान आकर्षित करने योग्य प्रस्तुती है।
इस नए संस्करण में “संशोधन परिवर्धन” के परिशिष्ट को रद्द कर दिया है। लेखक के आदेशानुसार यथोचित जगह पर लेखन सामग्री को सम्मिलित कर इस ग्रन्थ को एक नया आयाम दिया है, ताकि अब पाठकगण भी साशंक न रहे। ग्रंथ का पुनर्निर्माण होना यह पाठकों के प्रति लगाव तथा आयुर्वेद का आकर्षण सिद्ध होता है। दिन-ब-दिन आयुर्वेद चिकित्सा का जन-जनमें आकर्षण बढता जा रहा है। आयुर्वेदीय जडी बुटिया असरकारक होने से जटील रोगों का निवारण आयुर्वेद द्वारा ही हो सकता है ऐसा दृढ विश्वास होना स्वाभाविक है।
प्रस्तुत ग्रन्थ को आप सभी विद्वदजन, पाठकगण, चिकिसकः तथा आयुर्वेद प्रेमी इनके समक्ष प्रस्तुत किया है। इस ग्रन्थ में कुछ त्रुटियाँ या भूलवश कोई गल्तीयाँ हो तो उचित अपेक्षित है। भविष्य में और सुधार होगा और कोई दिक्कत न होगी इस बात का प्रयास अवश्य होगा।
आप हमें प्रोत्साहित कर आयुर्वेद की निरन्तर सेवा करने का मौका देंगे इसी आशा के साथ।
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